बलभद्र मिश्र ओडीशा में नानी मालती देवी चौधुरी के सहयोगी हुआ करते थे. सब उन्हें बाबाजी भाई कह कर बुलाते थे. गणेश जी की तरह गोल तोंद, तोंद पर मोटी जनेऊ, खुला बदन, मुंह में पान, ब्रह्मचारी. अनुगुल के पास ही गांव के थे. नानी के साथ आजादी के आन्दोलन के समय से ही सहकर्मी रहे. आजादी के बाद नानी के आश्रम में व्यवस्था देखते थे. आश्रम के बच्चे उन्हें बहुत चाहते थे. रामायण और महाभारत के अलावा मन गढंत शेर और भालू की कहानियां सुनाने का शौक. बच्चे कहानी के लिए जिद करते. वह सुनाते और कभी न थकते. चुस्त ब्राहमण की तरह टीका, पूजा-पाठ करते मगर छुआ-छूत में नहीं मानते.
Wednesday, July 02, 2014
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