चुनाव के समय देश भर में आयोजित हिन्दू ह्रदय सम्राट की हूंकार, चीत्कार, हाहाकार जनसभाओं से लोगों में वीर रस और देशभक्ति उछाल मारने लगा था. सम्राट का राज्याभिषेक भी हो गया. विजय उल्लास में देश के कोने-कोने में पल रहे विधर्मियों के धर्मस्थलों पर हमला बोल कर राष्ट्र भक्त सैनिकों ने उन्हें सन्देश भी दे दिया कि 'आर्याव्रत' सिर्फ आर्यों का है, अगर यहाँ रहना है तो आर्यों की तरह रहो, वरना देश छोड़ दो.
लेकिन यह क्या? राज्याभिषेक के कुछ ही दिनों में हवा उलटी बहने लगी. देशभक्तों से त्याग और बलिदान की आशा रखना गलत साबित होने लगा. देश ने उनसे लहू तो नहीं माँगा था. साठ साल की गुलामी से देश को आज़ाद कराने के लिए छोटा सा सहयोग ही माँगा था. गैस और तेल के दाम बढाकर सम्राट ने सबसे बड़े महाजन से लिया कर्ज ही तो अदा करने की दिशा में एक पहला कदम उठाया था. चीनी के दाम भी इसलिए बढाए कि मधुमेह से कमजोर होती जा रही नस्ल को बचाया जा सके. रेल का किराया इसलिए बढाया कि हजारों की तायदाद में लोग अपना गाँव छोड़ कर नरक का जीवन बिताने शहर की तरफ न भागें.
राष्ट्र हित में लिए ये निर्णय "कडवी दवाई" की तरह हैं. जो समझदार हैं, देशभक्त हैं, उन्हें यह बात समझ में आती है. मगर ६९ प्रतिशत देशद्रोही जनता इस बात को नहीं समझती. जहाँ देश में ये लोग भीतर घात कर रहे हैं, वहीँ मौके का फायदा उठाकर पडोसी देश भी रात - दिन सम्राट की छप्पन इंच की छाती पर मूंग दलने में लगे हैं. सम्राट ने अपने राज्याभिषेक समारोह में दावत पर बुलाने की शराफत क्या दिखाई, इन्हें लगा समस्त आर्य नस्ल कमजोर है, डरपोक है. आर्याव्रत की सीमा पर प्रतिदिन कर्णभेदी पटाखे छोड़े जा रहे हैं. दूसरी ओर चीनी के दाम बढाने पर चीनियों को क्यों मिर्ची लग गई जो आर्याव्रत के पूर्वोत्तर खंड को अपने नक़्शे में दिखा कर जीभ और ठेंगा दिखा रहे हैं, "दम है तो उखाड़ लो !"
आर्याव्रत के सम्राट का प्रतिदिन हो रहे अपमान से व्यथित और चिंतित हो कर मध्य भारत के वक्षस्थल पर कुंडली मार कर विराजमान गुरु घंटाल ने सबसे पहले तो शकुनी मामा के कलियुगी अवतार को अपने पास बुला भेजा. "सुन लो, तुम्हें हमने शासक दल का नेता ऐंवे नहीं बनाया है ताकि तुम्हारे ऊपर लगे खून के छीटें धुल जाएँ. बल्कि, इसलिए बनाया है कि तुम सम्राट के सभी दरबारियों पर नज़र रख सको और राष्ट्र विरोधी ताकतों को सबक सीखा सको. मुज़फ्फरनगर में तुमने जो कमाल कर दिखाया उससे परिवार के सभी वरिष्ट संचालक तुमसे प्रसन्न हैं," गुरु घंटाल ने संघ कार्यालय के गर्भ गृह में रखे घंटे को हिलाते हुए कहा.
घंटे की आवाज़ सुन कर कम्भे के पीछे छिपे गणवेषधारी सैनिक लपक कर गुरूजी का अगला आदेश लेने पहुँच गए. "शाह को इन्टरनेट खोल कर दो, स्टॉक मार्किट बहुत उछल कूद मचा रहा है. बाबा कामदेव ने हमारा स्विस बैंक में जो धन जमा कराया है उसमे से निकाल कर बिजली, गैस, फ़र्टिलाइज़र, इन्सुरांस, रक्षा उद्योग के शेयर खरीद लो. सबके भाव बढ़ने वाले हैं. चुनाव प्रचार के समय शेयर बाज़ार में जो लगाया था वह तो जिस दिन सम्राट की ताजपोशी हुई उसी दिन दस गुना हो कर वापस मिल गया. अब तो सम्राट ने विदेशी धन निवेश को खुली छूट देने की घोषणा कर दी है, झोंक दो पूरी ताकत. स्वयंसेवकों की सात पुश्तों का भविष्य बन जाएगा," गुरूजी ने शाह को निर्देश दिए. शाह स्टॉक मार्किट के घिसे हुए खिलाड़ी जो ठहरे.
शाह को आवश्यक दिशा निर्देश देने के बाद, गुरूजी ने अपने तकिये के नीचे छिपा कर रखे सॅटॅलाइट फोन को निकाला और सीधे सम्राट का फोन मिलाया. "सुनो, अब तो ब्रिक की झिक झिक से तुम्हे फुरसत मिल गई होगी. तुम्हारी सहूलियत के लिए ब्रिक बैंक की ईंट भी तुम्हारे हाथ से रखी जानी है. फिर क्या, चांदी ही चांदी है. आगे की रणनीति के लिए तुरंत बैठक बुलाओ. संघ परिवार के सभी शीर्ष नेता बेताब हो रहे हैं तुम्हे जरूरी मार्गदर्शन देने के लिए. विश्व में आर्याव्रत का आधिपत्य कायम करना है कि नहीं?"
"जी गुरूजी, अभी बुलाता हूँ," सम्राट घिघिया कर बोले.
सम्राट के निवास पर संघ परिवार के शीर्ष नेताओं की चार घंटे चली बैठक में जो गुप्त रणनीति तय हुई उसका पता तो आने वाले दिनों में ही चलेगा जब न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका तय किए गए एजेंडा पर चलना शुरू कर देंगे. इस बीच संघ परिवार की निजी सेना विधर्मियों को डरा धमका कर, और न मानें तो उनके मूंह में रोटी ठूंस कर, आर्यधर्म का पालन करवाने में लग जाएगी.
महंगाई, भ्रष्टाचार, काला धन, बलात्कार, अत्याचार जैसे फालतू सवालों ने बवाल मचा रखा है. देश प्रेम क्या ऐसे व्यक्त किया जाता है ?
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