"एक शुद्ध हिन्दू के लिए आवश्यक है शुद्ध गाय का शुद्ध दूध पीना. उसे चाहिए अपने घर में एक गोशाला रखे जिसमें कम से कम सात पुश्त से देशस्थ ब्राह्मण द्वारा प्रमाणित देशी नस्ल की ही गाय हों. इस बात का ख़ास ध्यान रखा जाए कि किसी भी पूर्वज गो माता का संवनन किसी विदेशी नस्ल के नंदी से न हुआ हो."
गुरु गोलमालकर ने उक्त वचन सभी प्रान्तों से एकत्र हुए संघ प्रचारकों की एक गुप्त बैठक में कहे. "ध्यान रहे बकरी का दूध पीने वाला मलेच्छ होता है. और मलेच्छ भारत माता की संतान कभी नहीं हो सकता. वेद और पुराण में कभी पढ़ा है अपने ऋषि मुनि बकरी का दूध पीते थे? कभी नहीं. वे तो शुध्ध देशी गाय का शुद्ध दूध ही पीते थे. जो गाय शुद्ध नहीं होती थी, या शुद्ध दूध नहीं दे सकती थी उसे हवन में आहूत कर दिया जाता था."
"संघ में हमने कई अशुद्ध नस्ल के स्वयंसेवक भर्ती किए हैं. मगर ये कभी संघ के उच्च पद पर आसीन नहीं किए जायेंगे. संघ में केवल मध्य प्रान्त के नागपुर नगर के प्रमाणित शुद्ध ब्राह्मण का ही वर्चस्व होगा," गुरूजी ने अपनी वक्षस्थल तक लहराती हुई श्वेत-श्याम दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा.
"काश्मीर के पंडित शुद्ध नहीं होते. उनके पूर्वज हो न हो या तो यवन रहे होंगे या अरबस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, इराक या ईरान के मलेच्छ. राजनीति के चलते हमने भले ही काश्मीरी पंडितों को उनके प्रान्त वापस बसाने का वादा किया हो. लेकिन ये तो केवल चुनावी वादा था, जिसे गंभीरता से न लें."
"सभी शाखा प्रमुखों को मैं यह स्पष्ट निर्देश देता हूँ कि वे स्वयंसेवकों के विचार शिविरों में काश्मीरी पंडितों की वंशावली पर सवाल उठाना शुरू कर दें. उन्हें यह बताये की नेहरु के पितामह नूर मोहम्मद थे. फिरोज़ गाँधी पारसी नहीं मुसलमान थे और उनका इंदिरा से निकाह हुआ था. नेहरु परिवार और शेख अब्दुल्लाह खानदान का खून का रिश्ता है."
"बकरी का दूध पीने वाले लंगोट धारी देश द्रोही का तो हमारे ब्राह्मण सपूत ने वध करके वीर गति पा ली. अब जो बचे खुचे मलेच्छ हैं उन्हें ठिकाने लगाने का काम हमारे भाड़े के टट्टू तोगड़िया, गिरिराज और सिंघल को सौंप दिया है. वे बड़ी लगन से मलेच्छ संस्कृति की निंदा भर्त्स्यना करने में लग गए हैं. मुज़फ्फरनगर संहार के वीर को हमने सत्ता दल का अध्यक्ष बनवा दिया है और उसे आदेश दे दिए गए हैं कि सरकार पर कड़ी नज़र रखे."
"अच्छे दिन आने में अब ज्यादा देर नहीं है. विपक्ष को तो उनकी औकात दिखा दी गई है. अब जिन राज्यों में हमारी सरकार नहीं है वहां 'गुजरात मॉडल' लागू कर के चुनाव करवाने की बस देर है. सभी राज्यों पर अपना कब्ज़ा हो जाए फिर संविधान तो हम चुटकियों में बदल देंगे. भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से फिर कोई नहीं रोक सकता."
इतना कह कर गुरु गोलमालकर जी ने अपना प्रवचन समाप्त किया और उठ कर शयन कक्ष में चले गए.
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