Saturday, July 26, 2014

मैत्रेय

देखते ही देखते अगले महीने मेरा पौत्र मैत्रेय पांच साल का हो जाएगा. उसका जन्म 22 अगस्त 2009 की सुबह घर के पास एक छोटे से नर्सिंग होम में हुआ. पैदा होने के 15 मिनट बाद दाई ने उसे नहला धुला कर गठरी बना कर मेरे हाथ में रखा. उसकी माँ बेहोशी की हालत में थी. 

मैं दादा बन गया. ख़ुशी हुई, कुछ अजीब भी लगा. अचानक, छलांग मार कर एक पीढ़ी आगे पहुँच गया. हमारे परिवार की इस अनमोल घडी को मैंने कैमरा में कैद कर लिया फोटो और विडियो खींच कर. अंग्रेजी में नवजात शिशु के लिए बहुत ही प्यारी बात कही जाती है - Bundle of Joy. हिंदी में ख़ुशी की गठरी कहना कुछ अटपटा सा लगता है. 

मैत्रेय के जन्म के पंद्रह मिनट से आज तक की उसकी पांच साल की विकास यात्रा में आए हर महत्त्व के क्षणों को मैंने अपने कैमरा में कैद कर रखा है. मेरे अपने बचपन की बहुत कम तस्वीरे हैं. उससे ज्यादा मेरे पुत्र और पुत्री की तस्वीरें हैं. लेकिन सबसे ज्यादा मैत्रेय की हैं. मेरा और मेरे बच्चों के जन्म के समय कैमरा में फिल्म का इस्तेमाल होता था जिसे पहले धोना पड़ता था फिर नेगेटिव से पॉजिटिव प्रिंट निकालना पड़ता था. खर्चीला तो था ही, समय भी लगता था. डिजिटल फोटोग्राफी ने सब आसान कर दिया.

मैत्रेय डिजिटल युग की पैदाईश है. इसका उसे और मुझे भरपूर लाभ मिला है. मैंने वे क्षण विडियो रिकॉर्ड किए हैं जब मैत्रेय ने मुंह से पहली बार अं अ ... अं अ की आवाज निकाली. पहली बार लेटे लेटे पलटी मारी,  पेट के बल आगे खिसक कर दूर रखे झुनझुने को पकड़ने की कोशिश की, कई बार लुढ़कने के बाद बैठना सीखा, घुटने के बल चलना शुरू किया, खड़ा होना सीखा और चलना सीखा. 

साल - डेढ़ साल की उम्र में उसे फुटबॉल को किक मारना आ गया.  न जाने फुटबॉल का शौक उसे कहाँ से आया, यह खेल न उसके पिता ने और न दादा ने कभी खेला. 

जब वह छः महीने का था तो मेरा माउथ ऑर्गन उठा लिया और उसमे फूँक कर आवाज निकालने लगा. फिर जब मैं माउथ ऑर्गन पर कोई धुन बजाता था तो उसके साथ घूम घूम कर नाचता था. 

मैत्रेय को बोलना सीखने में औसत बच्चों से थोड़ी देरी हुई. वह शायद इसलिए कि उसे तीन भाषाएँ - हिंदी, गुजराती और नेपाली - सुनने को मिलीं. मेरे घर में हिंदी, पड़ोस में गुजराती और ननिहाल दार्जीलिंग में नेपाली. अब स्कूल में उसे हिंदी और अंग्रेजी पढना लिखना सिखाया जा रहा है. उसकी माँ  एक शिक्षिका है इसलिए होम वर्क कराती है. 

मैत्रेय की डिजिटल जीवन शैली है. पहले मेरा लैपटॉप, फिर मेरा स्मार्ट फ़ोन और अब टेबलेट, उसके सबसे पसंदीदा खिलौने हैं.

अकेले-अकेले छोटा भीम, स्पाइडर मैन, सुपर मैन बन कर खूब उछल कूद करता रहता है. मैंने उसे किसी बात पर जिद्द करते नहीं देखा. 

मैत्रेय ने अपने दादा को सठियाने से बचा लिया है. 

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